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Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी के दिन पढ़ें ले ये कथा, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न, रुके हुए कार्य होंगे पूर्ण

Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी के दिन पढ़ें ले ये कथा, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न, रुके हुए कार्य होंगे पूर्ण

रायपुर। Vijaya Ekadashi : हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पावन माना गया है। यह व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है। वर्षभर में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं, जिनमें फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘विजया एकादशी’ कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने और व्रत रखने से जीवन के समस्त दुखों और कष्टों का नाश होता है तथा सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। विशेष रूप से, इस व्रत के प्रभाव से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं।

Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1:55 बजे आरंभ होकर 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1:44 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी 2025 को रखा जाएगा।

Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी व्रत कथा
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में जानने की इच्छा प्रकट की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि इस एकादशी को ‘विजया एकादशी’ कहा जाता है और इसका पालन करने से सभी पापों का नाश होता है। यह व्रत विशेष रूप से राजाओं और योद्धाओं को विजय प्रदान करने वाला होता है।

Vijaya Ekadashi : त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ वनवास में थे, तब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया। माता सीता के वियोग में श्रीराम व्याकुल हो उठे और अपने भाई लक्ष्मण के साथ उनकी खोज में निकल पड़े। खोज के दौरान उनकी भेंट जटायु से हुई और बाद में वानरराज सुग्रीव से मित्रता हुई। हनुमानजी लंका पहुंचे और माता सीता का पता लगाया। उन्होंने श्रीराम को यह समाचार दिया, जिसके बाद लंका पर आक्रमण की योजना बनी।

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Vijaya Ekadashi : परंतु, सबसे बड़ी चुनौती विशाल समुद्र को पार करना था। इसी समस्या को हल करने के लिए भगवान राम ने वकदालभ्य ऋषि का आश्रय लिया। ऋषि ने उन्हें विजया एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने का सुझाव दिया। भगवान राम ने व्रत का पालन किया और इसके प्रभाव से वानर सेना ने समुद्र पर सेतु का निर्माण किया, जिसे पार कर वे लंका पहुंचे। वहां भगवान राम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त किया और विजय प्राप्त की।

Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी व्रत विधि

  • व्रतधारी को एक दिन पूर्व दशमी तिथि की रात्रि से ही सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु का धूप, दीप, पुष्प, फल, पंचामृत आदि से पूजन करें।
  • पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • इस दिन विशेष रूप से विजया एकादशी व्रत कथा का श्रवण और पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।
  • रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
  • द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर तथा दान-दक्षिणा देकर स्वयं पारण करें।

विजया एकादशी व्रत के लाभ

  • जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है।
  • शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
  • वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
  • व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Naveen Kumar

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