CYBER CRIME : शेयर मार्केट में मोटा मुनाफे कमाने का झांसा, बुजुर्ग से 46 लाख रुपये की ठगी

बिलासपुर. CYBER CRIME । सबसे लुभावने बाजार शेयर मार्केट है. जिसमें मुनाफे कमाने वाले शेयर लगाते हैं. परन्तु शेयर बाजार के उठा-पटक में कई बार ठगी के मामले भी सुनने को मिलते हैं. इसी तरह के सिटी कोतवाली बिलासपुर का एक मामले में शेयर मार्केट में मोटा मुनाफे कमाने का झांसा देकर बुजुर्ग व्यक्ति से 46 लाख रूपए की ठगी करने का मामला सामने आया है. टिकरापारा निवासी रिटायर्ड अधिकारी गुरमीत सिंह इस ठगी के शिकार हुए हैं. जानकारी अनुसार ठगी को डिमैट अकाउंट के जरिए अंजाम दिया गया है.
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CYBER CRIME : शेयर में मोटा मुनाफे दिलाने के नाम पर 14 से 24 अक्टूबर के बीच अलग-अलग किस्तों में राशि जी गई और घटना को अंजाम दे दिया गया. मुनाफे कमाने का आश लिया हुआ व्यक्ति को भनक तक नहीं लग पाया कि वह ठगी का शिकार हो रहा है.
जब मुनाफे की राशिहाथ में नहीं आई तब जिसके माध्यम से शेयर में हिस्सेदारी खरीदी थी उसके शंकित गतिविधियों से पता चला कि वे मुनाफे चक्कर में घाटे का सौदा कर चुके हैंं. शेयर में मोटा मुनाफे दिलाने का झांसा देने वाले ने कथित शेयर धारक से किस्तों में पैसा लिया. जिससे कि उसे शक ना हो. इस तरह उसके डिमैट अकाउंट के जरिए रूपए निकाल कर घटना को अंजाम दे दिया.
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पिछले कुछ वर्षो से डिमैट अकांउट के बार में अधिक सुनने को मिल रहा है. आखिर क्या है डिमैट अकांउट. आईए जानते है कुछ इसके बारे में. डिमेंट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह ही है. जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रानिक फार्म में रख सकते हैं. डिमेट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है. इसमें शेयर, बांडस, गवर्नमेंट सिक्योरिटिज, म्यूच्युअल फंड , इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेंस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है.
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CYBER CRIME : इस अकांउट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंटस के रखरखाव की परेशानियां दूर हो जाती है. डीमेंट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से भी समझ सकते है कि मान लिजिए केाई शेयर खरीदना चाहता है और शेयर खरीदने के साथ वह आपके नाम का ट्रांसफर भी होंगे.
पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे. जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है. जितनी बार भी कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार ही सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे. इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डिमैट अकाउंट प्रणाली की शुरूआत की.