Delhi High Court : हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, शारीरिक संबंध’ को यौन उत्पीड़न नहीं माना, रेप आरोपी को किया बरी
Delhi High Court : हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, शारीरिक संबंध' को यौन उत्पीड़न नहीं माना, रेप आरोपी को किया बरी

- Delhi High Court : नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने पोक्सो ऐक्ट के तहत 14 साल की लड़की के साथ रेप और यौन उत्पीड़न के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे एक शख्स को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘शारीरिक संबंध’ शब्द को यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं लिया जा सकता। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि पीड़िता का बयान यौन संबंध या यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं था।
Delhi High Court : बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में ‘शारीरिक संबंध’ शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह इसका क्या मतलब निकाल रही थी। यहां तक कि ‘संबंध बनाना’ शब्द का इस्तेमाल भी POCSO एक्ट की धारा 3 या आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
Delhi High Court : कोर्ट ने यह भी कहा कि POCSO एक्ट के तहत अगर लड़की नाबालिग है तो सहमति मायने नहीं रखती, लेकिन ‘शारीरिक संबंध’ शब्द को यौन संबंध या यौन उत्पीड़न में बदलने की बात नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग लड़की ने यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि क्या उसे यौन उत्पीड़न का शिकार किया गया था और इस बात को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत भी नहीं थे। इसके अलावा, यह भी साबित नहीं हुआ कि लड़की अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में आरोपी को “बेनेफिट ऑफ डाउट” दिया जाना चाहिए।
Delhi High Court : लड़की की मां ने शिकायत दर्ज कराई थी कि एक अज्ञात व्यक्ति उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर घर से अपहरण कर ले गया था। इसके बाद, लड़की ने पुलिस को बताया कि उनके बीच ‘शारीरिक संबंध’ थे। इस बयान के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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Delhi High Court : आरोपी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, और इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि क्रॉस एग्जामिनेशन में नाबालिग ने यह स्वीकार किया कि आरोपी ने न तो उस पर कोई शारीरिक हमला किया और न ही कोई गलत काम। मेडिकल टेस्ट में भी कोई बाहरी चोट या हमले के संकेत नहीं मिले। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी गौर किया कि ट्रायल कोर्ट ने दोषसिद्धि और सजा के बारे में कोई स्पष्ट तर्क नहीं दिया था।
Delhi High Court : अंत में, कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रायल कोर्ट इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न किया था। पीड़िता की उम्र 18 साल से कम होने के आधार पर ही दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है।