Supreme Court : प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया… जानिए और क्या कहा…
Supreme Court : प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया... जानिए और क्या कहा...

Supreme Court : नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में ‘मनमाने’ तरीके से बुलडोजर चलाने पर उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जिस प्रकार यह कार्रवाई की गई, उसने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 24 घंटे के भीतर मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीड़ितों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी नाराजगी व्यक्त की।
Supreme Court : पीठ ने कहा, “यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को बिना किसी उचित प्रक्रिया के ध्वस्त किया गया। इस प्रकार की कार्रवाई चौंकाने वाली है और अदालतें इसे बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। अगर हम इसे एक मामले में बर्दाश्त करते हैं, तो यह आगे भी जारी रहेगा।” शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह याचिकाकर्ताओं को उनके ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगा, बशर्ते वे निर्धारित समय के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी अपील खारिज हो जाती है, तो याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घरों को फिर से बनवाना होगा। याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दायर करने के लिए मामले को स्थगित कर दिया गया।
Supreme Court : अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि नोटिस देने में पर्याप्त ‘उचित प्रक्रिया’ का पालन किया गया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से अवैध कब्जों पर भी चर्चा की और कहा कि अनधिकृत कब्जों को नियंत्रित करना राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है।
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी और इसे ‘चौंकाने वाला और गलत संकेत’ बताया था।
Supreme Court : याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क किया कि राज्य सरकार ने यह मानते हुए कि यह ज़मीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, गलत तरीके से घरों को ध्वस्त किया। अतीक अहमद को 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए थे। इससे पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
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