Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ: शाही स्नान क्या है और क्या इसके लिए होता है कोई विशेष मुहूर्त? अपना कन्फ्यूजन यहां दूर करें
Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ: शाही स्नान क्या है और क्या इसके लिए होता है कोई विशेष मुहूर्त? अपना कन्फ्यूजन यहां दूर करें

Shahi Snan and Amrit Snan : प्रयागराज : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है। बसंत पंचमी के दिन तीसरे शाही स्नान का आयोजन हो रहा है, जिसे लेकर लोगों में विशेष आस्था और जोश है। हालांकि, शाही स्नान और अमृत स्नान के बीच भ्रम फैल रहा है। कई लोग शाही स्नान को ही अमृत स्नान मान रहे हैं, जबकि इन दोनों में स्पष्ट अंतर है। इसके अलावा, कुछ लोग महाकुंभ के सभी छह प्रमुख स्नानों को शाही स्नान बता रहे हैं, जबकि सच में केवल तीन स्नान ही शाही स्नान की श्रेणी में आते हैं। इस भ्रम के कारण श्रद्धालु असमंजस में हैं, और भ्रामक सूचनाओं से उनकी धार्मिक समझ प्रभावित हो रही है। धार्मिक गुरु और विद्वान अपील कर रहे हैं कि लोग सही जानकारी प्राप्त करें और किसी प्रकार की भ्रांतियों से बचें।
Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ का महत्व समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक मान्यता से है, जिसमें अमृत कलश से गिरी कुछ बूंदें गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर पड़ी थीं। इसी मान्यता के आधार पर कुंभ और महाकुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज में यह पर्व पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक विभिन्न अवसरों पर आयोजित होता है। इन प्रमुख तिथियों पर स्नान करने से श्रद्धालु को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इन अवसरों पर संगम तट पर देशभर से आए संत-महात्मा और धर्मगुरु श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देते हैं और हिंदू धर्म की गूढ़ परंपराओं का प्रचार करते हैं।
Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ मेले में 13 प्रमुख अखाड़े भाग लेते हैं, जिनके नागा संन्यासी और संत अपनी विशेष परंपराओं के अनुसार आयोजन में हिस्सा लेते हैं। इन अखाड़ों का प्रवेश शाही अंदाज में होता है, जिसे पेशवाई कहा जाता है। हाथी, घोड़े, रथ, तलवारें और स्वर्ण-रजत सिंहासन इनकी शोभा बढ़ाते हैं। इन अखाड़ों के संत जब शाही रूप में स्नान करने पहुंचते हैं, तो इसे ‘शाही स्नान’ कहा जाता है। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य और आकर्षक अनुभव होता है।
Shahi Snan and Amrit Snan : शाही स्नान का आयोजन सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मेला प्रशासन विशेष व्यवस्था करता है, और प्रत्येक अखाड़े के संतों के स्नान का समय निर्धारित किया जाता है। यह प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि सभी अखाड़ों के संत समय पर स्नान कर सकें और मेला व्यवस्थित रूप से चले।
Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ मेले में तीन प्रमुख शाही स्नान होते हैं: मकर संक्रांति पर, मौनी अमावस्या पर और बसंत पंचमी के दिन। इन अवसरों पर अखाड़ों के संतों का भव्य स्वागत किया जाता है, और वे संगम तट पर गरिमा के साथ स्नान करते हैं। इन स्नानों के दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो मेला प्रशासन के साथ मिलकर समस्त व्यवस्थाओं का संचालन करती है।
Shahi Snan and Amrit Snan : महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और सनातन परंपराओं का संगम है। इस अवसर पर श्रद्धालु आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान की कामना करते हैं। महाकुंभ के दौरान संतों के प्रवचन और उपदेश श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह मेला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को एक नया रूप देने के साथ-साथ सामाजिक समरसता का संदेश भी देता है।