
नई दिल्ली। Medicines prices Hike : आम आदमी को एक बार फिर बड़ा झटका लगने वाला हैं। दरअसल, 1 अप्रैल 2025 से आवश्यक दवाओं की कीमतों में 1.74% की वृद्धि होने जा रही है। सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वार्षिक बदलाव के आधार पर यह वृद्धि मंजूर की है। इसके तहत दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स, एनीमिया रोधी दवाएं, विटामिन और मिनरल्स युक्त दवाइयां जैसी लगभग 1000 दवाइयों की कीमतें महंगी हो जाएंगी। औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के अनुसार, यह वृद्धि औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश 2013 के तहत की जा रही है, जिसमें दवा निर्माता थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर दाम बढ़ा सकते हैं।
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Medicines prices Hike : फार्मा उद्योग का कहना है कि पिछले दो वर्षों में दवाओं की कीमतों में मामूली वृद्धि हुई थी, लेकिन इस बार इनपुट लागत में भारी बढ़ोतरी के कारण यह वृद्धि अनिवार्य हो गई है। उदाहरण के तौर पर, पैरासिटामोल की कीमत में पिछले कुछ वर्षों में 130% तक का उछाल आया है, जबकि ग्लिसरीन और प्रोपलीन ग्लाइकॉल जैसे सॉल्वैंट्स में 175% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले कुछ वर्षों में दवाओं के दाम में वृद्धि की गति इस प्रकार रही:
– 2022 में – 10% वृद्धि
– 2023 में – 12% वृद्धि
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Medicines prices Hike : आम आदमी की जेब पर पड़ेगा असर
इस वृद्धि का सबसे बड़ा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। पहले से ही बढ़ती महंगाई के बीच, आवश्यक दवाइयों के महंगे होने से लोगों को और भी कठिनाई हो सकती है। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में और अधिक दबाव डालने वाली है, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए इलाज महंगा हो सकता है।