Prayagraj Mahakumbh : प्रयागराज महाकुंभ : एक से बढ़कर एक साधु-महात्माओं का जमावड़ा, IIT बाबा ने बताई संत बनने की कहानी
Prayagraj Mahakumbh : प्रयागराज महाकुंभ : एक से बढ़कर एक साधु-महात्माओं का जमावड़ा, IIT बाबा ने बताई संत बनने की कहानी

Prayagraj Mahakumbh : प्रयागराज महाकुंभ में एक से बढ़कर एक साधु-महात्माओं का जमावड़ा हुआ है, जिनकी रोचक कहानियां सोशल मीडिया और मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनमें से एक हैं आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह, जो हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में IIT बॉम्बे से बीटेक किया और फिर कनाडा में लाखों के वेतन पैकेज वाली नौकरी की, लेकिन अब उन्होंने आधुनिक विज्ञान और तकनीक की दुनिया को छोड़कर आध्यात्म की राह अपना ली है।
Prayagraj Mahakumbh : एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अभय सिंह ने बताया कि इस दुनिया को लेबल लगाना पसंद है, लेकिन उन्हें वह पसंद नहीं है। उनका उद्देश्य मुक्ति की तलाश करना था, लेकिन एक नौकरी उन्हें एक ढांचे में बांध रही थी, जो उनकी मुक्ति की राह में रुकावट थी। उन्होंने कहा, “जब आप किसी एक लेबल में बंध जाते हैं, तो आपका विकास रुक जाता है, जबकि मुझे तो कुछ नहीं होना था। जो कुछ नहीं होता, वह कुछ भी हो सकता है।” यही कारण था कि वे मुक्ति की तलाश में थे।
Prayagraj Mahakumbh : बाबा ने बताया कि जब वह अपने घर में मेडिटेशन करते थे, तो उनके परिवार वाले उन्हें पागल समझते थे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें पागल मानने लगे थे, लेकिन वह तब भी मेडिटेशन में तल्लीन रहते थे। उन्होंने कहा कि नौकरी छोड़ने के बाद वे नीचे नहीं, बल्कि ऊपर की स्थिति में पहुंचे हैं। IIT में दाखिला लेने के बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि आगे जीवन में क्या करना है, और उन्हें नौकरी में कितने प्लेन बनाने थे। उन्होंने कहा, “मुझे जीवन में बोर नहीं होना था, एक ही काम को बार-बार करना पसंद नहीं था। इसलिए मैंने कला और अध्यात्म की ओर रुख किया।”
Prayagraj Mahakumbh : बाबा ने बताया कि शुरुआत में वे फोटोग्राफी और डिजायनिंग में भी रुचि रखते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनका मन वहां भी नहीं लगा। इसके बाद, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आने लगीं और उन्होंने साधना शुरू की। हालांकि, इलाज कराने के बावजूद जब उनकी ऊर्जा कम होने लगी, तो वह डिप्रेशन में जाने लगे। उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें नींद भी नहीं आती थी और वे यह सोचने लगे थे कि यह मन क्या है और क्यों शांत नहीं होता। इसी दौरान उन्होंने कई किताबें पढ़ी और स्वामी विवेकानंद तथा जे. कृष्णमूर्ति के विचारों को गहरे से समझा।
Prayagraj Mahakumbh : बाबा के मुताबिक, इसी समय उनके परिवार और समाज के लोग उन्हें पागल समझने लगे थे। उन्हें मनोवैज्ञानिक के पास ले जाने की बातें होने लगीं, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया। अभय सिंह ने कहा कि उनके परिवार ने अध्यात्म की ओर रुख करने से मना किया था, क्योंकि उनके घर का माहौल बचपन में बहुत खराब था।
Prayagraj Mahakumbh : फिर उनकी मुलाकात बनारस के एक गुरु सोमेश्वर पुरी से हुई, जिन्होंने उनकी जिंदगी बदल दी। उन्होंने बताया कि महादेव की नगरी काशी में ही उन्हें अपना गुरु मिला, जिसने उनकी दशा और दिशा को बदल दिया। उनके गुरु ने कहा कि उन्होंने अभय सिंह की शक्ति को पहचानते हुए उन्हें अघौड़ी साधुओं और नागा साधुओं से मिलवाया और दीक्षा दिलवाई। इन साधुओं से मिलकर उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई और उन्होंने साधना की गहरी प्रक्रिया को अपनाया, जिससे उन्हें दिव्यता प्राप्त हुई।