One Nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन: BJP को लगा झटका, क्या है बिल पास का पूरा गणित
One Nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन: BJP को लगा झटका, क्या है बिल पास का पूरा गणित

One Nation One Election: बीजेपी का नेतृत्व करने वाले गठबंधन के पास दो-तिहाई बहुमत की कमी के कारण वन नेशन-वन इलेक्शन (ONOE) का सपना फिलहाल हकीकत बनने में समय लगेगा। दरअसल, मंगलवार को बीजेपी ने लोकसभा में दो विधेयकों को पारित कराने का प्रयास किया, लेकिन संख्या बल की कमी के कारण वे पारित नहीं हो सके। ये विधेयक संविधान संशोधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते, जिससे वन नेशन-वन इलेक्शन का रास्ता साफ हो जाता।
One Nation One Election:इन विधेयकों में से एक विधेयक राज्य विधानसभाओं की कार्यकाल अवधि और विघटन में बदलाव करने का प्रस्ताव रखता था, जबकि दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के कार्यकाल में भी इसी तरह के बदलाव का सुझाव देता था।
One Nation One Election:पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक पैनल गठित किया गया था, जिसकी रिपोर्ट को हाल ही में मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी, जिससे वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए संसद में विधेयक लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लेकिन इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सबसे बड़ा रोड़ा संख्याबल है। ओएनओपी के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, और इसके लिए विधेयकों को लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना आवश्यक है।
One Nation One Election:मंगलवार को जब वोटिंग हुई, तो बीजेपी और उनके सहयोगी गठबंधन को केवल 269 वोट मिले, जबकि विपक्ष को 198 वोट मिले। संविधान के 129वें संशोधन के लिए 307 सांसदों की आवश्यकता थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बीजेपी के पास दो-तिहाई बहुमत की कमी है।
One Nation One Election:संविधान में संशोधन के लिए उपस्थित और वोट करने वाले दो-तिहाई सांसदों की मंजूरी जरूरी होती है। यदि मंगलवार को सरकार संविधान संशोधन बिल को पारित कराने की कोशिश करती, तो यह प्रस्ताव गिर जाता क्योंकि एनडीए के पास संख्या बल की कमी थी। एनडीए के पास वर्तमान में 293 सांसद हैं, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन इंडिया के पास 234 सांसद हैं। यदि व्हिप जारी किया जाता और सभी सांसद उपस्थित होते, तो दो-तिहाई बहुमत के लिए 362 सांसदों की आवश्यकता होती। ऐसे में, बीजेपी को विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत पड़ सकती है।
One Nation One Election: बीजेपी के पास एक दूसरा विकल्प यह है कि वह इस विधेयक को पहले जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी) में भेजे, जहां सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है। जेपीसी में व्यापक चर्चा की जाती है, जिससे बीजेपी को इस विधेयक को पारित कराने के लिए समय मिलेगा और विपक्षी दलों को साधने का भी एक और मौका मिल सकता है।