Mumbai News : एक बेटे का साहस: सोनी सब के ‘वीर हनुमान’ में करुणा की सीख देते भगवान हनुमान
Mumbai News : एक बेटे का साहस: सोनी सब के 'वीर हनुमान' में करुणा की सीख देते भगवान हनुमान

Mumbai News : मुंबई : सोनी सब का भव्य शो वीर हनुमान दर्शकों को भगवान हनुमान की अमर गाथा के एक नए और भावनात्मक दृष्टिकोण से प्रभावित कर रहा है। यह शो युवा मारुति की प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाता है, जो आगे चलकर शक्तिशाली और पूजनीय हनुमान बनते हैं। शो में आन तिवारी युवा मारुति की भूमिका में, आरव चौधरी केसरी के रूप में, सायली सालुंखे अंजनी की भूमिका में और माहिर पांधी बालि और सुग्रीव के दोहरे किरदारों में नजर आ रहे हैं। वीर हनुमान हर सोमवार से शनिवार, शाम 7:30 बजे प्रसारित होता है, और भक्ति व भावनाओं से भरपूर मनोरंजन प्रदान करता है।
Mumbai News : हाल ही के एपिसोड्स में दर्शकों ने देखा कि कैसे मारुति को देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्होंने अपनी असाधारण शक्तियों की खोज शुरू की।आगामी एपिसोड्स में कहानी एक नाटकीय मोड़ लेती है, जब बालि मारुति की सिद्धियों की साधना में बाधा डालने की योजना बनाता है। वह मारुति और केसरी को एक यात्रा पर आमंत्रित करता है, और गुप्त रूप से एक सांड से मारुति पर हमला करवाने की योजना बनाता है। एक संत उस सांड को शांत करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंततः उनका निर्णय होता है कि सांड को मार देना चाहिए – और यह कार्य केसरी को सौंपा जाता है। जैसे ही सांड को मारने का क्षण आता है, मारुति अपने पिता के सामने आते हैं और सांड की हत्या से रोक देते हैं।
Mumbai News : वे समझदारी और करुणा दिखाते हुए तर्क देते हैं कि सांड का आक्रोश उसके दुःख का परिणाम है और हिंसा इसका समाधान नहीं है। यह केसरी को एक कठिन स्थिति में डाल देता है – कर्तव्य और अपने पुत्र की भावनात्मक अपील के बीच।
Mumbai News : क्या एक पिता के दिए शब्द बेटे की समझदारी से भरी सलाह पर भारी पड़ेगी? या मारुति की करुणा में आस्था केसरी के हृदय को बदल देगी? यह भावनात्मक मोड़ देखने के लिए बने रहिए…केसरी की भूमिका निभा रहे आरव चौधरी ने कहा, “एक पिता के रूप में यह आसान नहीं होता जब आपका बच्चा आपके सामने खड़ा हो जाए — लेकिन यही वो पल होता है जो एक पिता की यात्रा परिभाषित होती है। इस दृश्य में केसरी को यह कड़वा सत्य स्वीकार करना पड़ता है कि उसका पुत्र मारुति अपने सिद्धांतों के लिए डटकर खड़ा है, भले ही वह अपने पिता के विरुद्ध ही क्यों न हो। इस भावनात्मक टकराव को निभाना बेहद सशक्त अनुभव था, क्योंकि यह दर्शाता है कि असली विकास तब शुरू होता है जब नई पीढ़ी स्वतंत्र रूप से सोचने लगती है। यह याद दिलाता है कि असहमति के बावजूद, प्रेम और सम्मान हमेशा बने रह सकते हैं।
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