Biobank News: भारत में स्थापित हुआ पहला बायोबैंक, अब डायबिटीज का खतरा पहले ही होगा पहचाना, जानें कहां खुला
Biobank News: भारत में स्थापित हुआ पहला बायोबैंक, अब डायबिटीज का खतरा पहले ही होगा पहचाना, जानें कहां खुला

Biobank News: बिगड़ती लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों के कारण आजकल युवाओं में डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। पूरे देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, और अब यह समस्या हर उम्र के लोगों को प्रभावित करने लगी है।
Biobank News: युवाओं में डायबिटीज के मामलों में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए, देश में पहला बायोबैंक स्थापित किया गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मद्रास मधुमेह अनुसंधान फाउंडेशन (MDRF) के सहयोग से चेन्नई में देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक शुरू किया है। इसका उद्देश्य डायबिटीज के कारणों पर उन्नत रिसर्च करना और इसके इलाज को आसान बनाना है।
Biobank News: इस बायोबैंक में भारतीय आबादी के बायोलॉजिकल सैंपल स्टोर किए जाएंगे। यह एक ऐसा केंद्र है जहां बायोलॉजिकल सैंपल को संग्रहित, प्रोसेस और रिसर्च के लिए साझा किया जाता है। MDRF के अध्यक्ष डॉ. वी मोहन के अनुसार, यह बायोबैंक डायबिटीज की प्रारंभिक पहचान और इलाज को बेहतर बनाने के लिए नए बायोमार्कर की पहचान करने में मदद करेगा। इससे भविष्य में जरूरी डेटा जुटाने में भी सहायता मिलेगी।
Biobank News: एक हालिया अध्ययन में, 31 राज्यों और क्षेत्रों के 1.2 लाख से अधिक लोगों को शामिल किया गया, जिसमें भारत में डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के मामलों का उच्च स्तर पाया गया है, जो 10 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। दूसरी ओर, एक और अध्ययन में युवाओं में डायबिटीज के मामलों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 5,500 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज युवाओं में अधिक बढ़ रहे हैं।
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Biobank News: इस प्रकार, डायबिटीज बायोबैंक इस बीमारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बायोबैंक से डायबिटीज के खिलाफ दुनिया भर की लड़ाई में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह एक हाईटेक सैंपल स्टोरेज और डेटा शेयरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करके सस्ते और प्रभावी इलाज की खोज में मदद करेगा। इस पहल से न केवल डायबिटीज के इलाज और रोकथाम की रणनीतियों में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है, बल्कि यह पूरी दुनिया में डायबिटीज रिसर्च के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।