
नई दिल्ली | Hotels And Restaurants : होटल-रेस्तरां संचालकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसमें जल्द ही होटल और रेस्तरां को यह स्पष्ट करना अनिवार्य हो सकता है कि उनके व्यंजनों में इस्तेमाल किया गया पनीर दूध से बना पारंपरिक पनीर है या फिर गैर-डेयरी उत्पादों से तैयार किया गया एनालॉग पनीर। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने की तैयारी में है। यह जानकारी उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने सोमवार को दी।
Hotels And Restaurants भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार, एनालॉग पनीर ऐसा उत्पाद होता है जिसमें दूध के तत्वों को पूरी तरह या आंशिक रूप से गैर-डेयरी सामग्री, जैसे वनस्पति तेल, से बदल दिया जाता है। यह दिखने और स्वाद में पारंपरिक पनीर जैसा लगता है, लेकिन वास्तव में यह दूध से नहीं बना होता। इसलिए FSSAI ने इसे ‘गैर-डेयरी’ के रूप में लेबल करना अनिवार्य किया है। हालांकि, ये नियम अभी तक रेस्तरां में परोसे जाने वाले व्यंजनों पर लागू नहीं होते हैं।
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Hotels And Restaurants एनालॉग पनीर सस्ता होता है और स्वाद में पनीर जैसा लगता है, लेकिन यह असली पनीर नहीं है। रेस्तरां और होटल इसे परोसते हैं, लेकिन ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं देते। उपभोक्ताओं को यह जानने का हक है कि उन्हें असली पनीर परोसा जा रहा है या नकली। उसी के अनुसार कीमत भी तय होनी चाहिए।
पारंपरिक और एनालॉग पनीर में अंतर
Hotels And Restaurants पारंपरिक पनीर ताजे दूध में नींबू का रस या सिरका मिलाकर बनाया जाता है, जबकि एनालॉग पनीर वनस्पति तेल, स्टार्च और इमल्सिफायर जैसी सामग्रियों से तैयार होता है। एनालॉग पनीर सस्ता होने के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन इसे पारंपरिक पनीर बताकर बेचना उपभोक्ताओं के साथ धोखा है।