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Holika Dahan 2025 : होलिका दहन में भद्रा का साया! अगर भद्रा काल में होलिका जलाया तो क्या होगा?

 

नई दिल्ली। Holika Dahan 2025 :फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को किया जाएगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

Holika Dahan 2025 :भद्रा काल का महत्व
होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है, जिससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस बार भद्रा काल सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा। अतः होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद रात 11:26 बजे के बाद किया जाएगा।

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Holika Dahan 2025 :राहुकाल में करें बचाव
13 मार्च को दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक राहुकाल रहेगा, इसलिए इस दौरान होली पूजन करने से बचना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में राहुकाल में पूजा-पाठ को अशुभ माना गया है।

Holika Dahan 2025 : होलिका दहन की पूजा विधि
1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. होलिका दहन स्थल पर गोबर से बनाई गई होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें।
3. कच्चे सूत (धागे) को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटें।
4. रोली, अक्षत, फूल, नारियल, गेंहू, चने और हल्दी अर्पित करें।
5. होलिका दहन से पहले उसकी परिक्रमा करें और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
6. दहन के समय नारियल, गेंहू और जौ की आहुति दें।
7. होलिका की बची हुई राख को घर लाकर तिलक करें, इसे शुभ और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला माना जाता है।

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Holika Dahan 2025 :होलिका दहन का आध्यात्मिक महत्व
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व भक्त प्रह्लाद की असुर राक्षसी होलिका से रक्षा की पौराणिक कथा से जुड़ा है। इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे होलिका के प्रकोप से बचाया था।

इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करने से सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक किए गए होलिका दहन से समस्त परेशानियां अग्नि में स्वाहा हो जाती हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

Naveen Kumar

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