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SAMBHAL VIOLENCE : सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थलों की सुरक्षा संबंधित कानून से संबंधित याचिका पर सुनवाई 4 दिसम्बर को

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी सुनवाई

नई दिल्ली, SAMBHAL VIOLENCE : भारत में मंदिर-मस्जिद के विवाद चिंतनीय है. देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के धार्मिक विवाद कमतर नहीं हैं. हाल ही में कोर्ट के आदेश के बाद उत्तरप्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर का सर्वेक्षण के कार्य पर एक वर्ग भडक़ गए और बात हिंसा तक पहुंच गई थी. ऐसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थलों की सुरक्षा एवं 1991 में बने कानून से संबंधित याचिका पर सुनवाई का संकेत दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त कानून से संबंधित दायर की गई याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ आगामी महीने 4 दिसम्बर को सुनवाई के संकेत दिए हैं. गौरतलब है कि संभल जिले स्थित जामा मस्जिद में एएसआई सर्वे कोर्ट के आदेश पर हुआ. परन्तु इस पर सवाल उठाने वाले प्लेस ऑऊ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर दलील दिया जा रहा है कि जब प्लेस ऑऊ वर्शिप एक्ट सभी धार्मिक स्थलों पर लागू है ऐसे में सर्वे क्यों करवाया जा रहा है.

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SAMBHAL VIOLENCE : कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तिव में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म में नहीं बदला जा सकता. यह कानून बाबरी मस्जिद और अयोध्या राम मंदिर विवाद के परिप्रेक्ष्य में बना था. जिसमें एक पेच यह है कि इसी परिप्रेक्ष्य को लेकर एएसआई सर्वे की मांग का मामला अदालत में गया जिसके बाद ही अदालत द्वारा सर्वे के आदेश देती है. संभल जामा मस्जिद सर्वे कुछ लोगों के कहने पर होने की बात कहने भी कही जा रही है. इसके उलट अदालत के आदेश पर हुए सर्वे पर सवालिया निशान लगाने वाले कानून की नजर में संदेह के घेरे में हैं.

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संभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर बीते दिनों हुई हिंसा के कसूरवार अपराधी श्रेणी के हैं. पेच यह भी है कि एएसआई वाली साइट्स पर प्लेस ऑऊ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होती, ऐसे में सर्वे हो सकता है और कोर्ट का आदेश लाजिमी है. दूसरी ओर संभल जामा मस्जिद धार्मिक स्थल के रूप में एएसआई संरक्षित राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है. बावजूद यह एएसई, आगरा सर्कल मुरादाबाद डिवीजन की वेबसाईट पर केंद्र की संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल होने की वजह से जामा मस्जिद में सर्वे को मंजूरी मिली. अगर यह मस्जिद एएसआई की प्रोटेक्ड मोनूमेंट वाली लिस्ट में नहीं रहती तो यहां सर्वें हो ही नहीं सकता था.

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SAMBHAL VIOLENCE : ऐसी स्थिति में यहा प्लेस ऑप वर्शिप एक्ट लागू होता है. अयोध्या इसका अपवाद था. अयोध्या में प्लेस ऑप वर्शिप एक्ट लागू था. बाबरी मजिस्द एएसआई की प्रोटेक्टेड साइट की लिस्ट में नहीं थी. जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में किया हुआ है.

यूपी में संभल जामा मजिस्द सर्वे का काम अदालत के आदेश पर हुआ. एएसआई सर्वे के पक्ष वाले हिंदू पक्ष का मानना है कि जामा मस्जिद पहले श्री हरिहर मंदिर था. जिसका जिक्र अबुल पजल की किताब आईने-ए-अकबरी में हरिहर मंदिर को नष्ट किए जाने के रूप में आता है. जिस पर किसी ने गौर ना करते हुए अदालत के आदेश के विरूद्ध सर्वे के दूसरे दौर के बाद हिंसा की स्थिति निर्मित की गई. अब मामला पूरी तरह कोर्ट के अधीन है जिस पर सुनवाई होना है.

Mahendra Sahu

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