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DGP Kuldeep Sharma : इस मामले में रिटायर्ड DGP को 3 महीने की जेल, कांग्रेस नेता पर हमले में 41 साल बाद फैसला, पढ़िए खबर

DGP Kuldeep Sharma : इस मामले में रिटायर्ड DGP को 3 महीने की जेल, कांग्रेस नेता पर हमले में 41 साल बाद फैसला, पढ़िए खबर

DGP Kuldeep Sharma : गुजरात : गुजरात की एक अदालत ने सोमवार को राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कुलदीप शर्मा को तीन महीने की जेल की सजा सुनाई। यह सजा उन्हें 41 साल पुराने एक मामले में सुनाई गई, जब वे कच्छ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के तौर पर कार्यरत थे। उन्हें कांग्रेस के एक नेता पर हमला करने और गलत तरीके से बंधक बनाने का दोषी पाया गया था।

DGP Kuldeep Sharma : भुज के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बी.एम. प्रजापति की अदालत ने इस मामले में पूर्व पुलिस निरीक्षक गिरीश वासवदा को भी दोषी ठहराया और उन्हें भी तीन महीने की सजा सुनाई।

शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आरएस गढ़वी ने बताया, “कुलदीप शर्मा और वासवदा को आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) के तहत दोषी ठहराया गया। अदालत ने दोनों को तीन महीने की कैद और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।”

DGP Kuldeep Sharma : यह मामला 1984 का है, जब कांग्रेस नेता इब्राहिम मंधारा, जिन्हें इभाला सेठ के नाम से जाना जाता था, पर एसपी ऑफिस में कुलदीप शर्मा और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों ने हमला किया था। इब्राहिम मंधारा का 2020 में निधन हो चुका है।

DGP Kuldeep Sharma : शंकर जोशी नामक व्यक्ति द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, 6 मई 1984 को कच्छ के नलिया शहर से इब्राहिम मंधारा और स्थानीय विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल एसपी कुलदीप शर्मा से मिलने भुज के एसपी कार्यालय गया था। गढ़वी के अनुसार, इस मुलाकात के दौरान इब्राहिम मंधारा ने एसपी से निर्दोष लोगों के बजाय अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया। इसके बाद, दोनों के बीच तीखी बहस हुई और कुलदीप शर्मा ने इब्राहिम को दूसरे कमरे में ले जाकर उन पर हमला किया, जिसमें अन्य पुलिस अधिकारी भी शामिल थे।

DGP Kuldeep Sharma : भुज कोर्ट में दर्ज शिकायत में शंकर जोशी ने कुलदीप शर्मा, वासवदा और दो अन्य आरोपियों (जिनका अब निधन हो चुका है) के खिलाफ आईपीसी की धारा 342, 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत कार्रवाई की मांग की थी।

DGP Kuldeep Sharma : इब्राहिम मंधारा के बेटे इकबाल मंधारा ने फैसले के बाद भुज कोर्ट के बाहर मिठाई बांटी। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है, लेकिन 40 साल बाद सच्चाई की जीत हुई है। मेरे पिता ने न्याय के लिए निरंतर संघर्ष किया और आज का फैसला जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।”

Mahendra Sahu

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