Chhattisgarh

Death Warrant : हाथियों का कब्रगाह बनता छत्तीसगढ़, करंट लगने से 3 हाथियों की मौत, अब तक 80 से ज्यादा हो चुके हैं शिकार, गुनेहगार कौन?

रायपुरDeath Warrant : रायगढ़ जिले के तमनार वन परिक्षेत्र के समारुमा कम्पाटमेंट में करंट लगने से तीन हाथियों के मौत की खबर सामने आ रही है। घटना की जानकारी लगते ही मौके पर घरघोड़ा तमनार वन अमला मौका पर पहुंचा हुआ है। राज्य बनने के बाद से अब तक 80 से ज्यादा हाथियों के मौत करंट लगने से हो चुका है। वहीं बीते दो साल में 24 हाथियों के मौत हुये हैं। आखिर ये बेजुबान जानवर इत्तेफाक से करंट के शिकार हो रहे हैं। या फिर जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत शिकार बनाये जा रहे हैं।

दरसल, प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में कोयला बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। जिसे औद्योगिक कंपनियां सरकार की मदद से निकाल कर अपनी तिजोरी भरना चाहते हैं। हाथियों के मौत के पीछे काले हीरे का लोभ को नकारा नहीं जा सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के ज्यादातर कोल माइंस को एलिफेंट रिजर्व एरिया घोषित करते हुये खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। बावजूद इन क्षेत्रों में सरकार और औद्योगिक घराने कोल खनन करने की मंशा से हाथियों की मौत का साजिश रच रहे हैं।

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Death Warrant : प्रदेश में अब तक हुये हाथियों के मौत के आकड़े पर नजर डालने पर पाएंगे। देशभर में हाथियों के मौत में छत्तीसगढ़ 9वें स्थान पर है। प्रदेश में अब तक हाथियों के ज्यादातर मौत करंट लगने से हुये हैं। आखिर ऐसा कौन सा समस्या है। जिसे दूर नहीं किया जा सकता है। सिर्फ और सिर्फ इच्छा शक्ति की कमी के चलते हाईटेंशन तारों को एलिफेंट रिजर्व एरिया में ऊपर नहीं उठाया जा रहा है। और हाथी लगातार करंट के शिकार बन रहे हैं।

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Death Warrant : हाथियों की मौत की खबर आने पर हमेशा वन अमला एक ही राग अलापता है। हमने विद्युत विभाग को पत्र लिखा है। परंतु विद्युत विभागहाईटेंशन तारों को एलिफेंट रिजर्व एरिया में ऊपर नहीं उठा रहे हैं। हालांकि विद्युत विभाग की मानें तो उन्होंने मार्च 2019 में हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने वन विभाग से 1674 करोड़ रुपये की मांग की थी। जिसके माध्यम से 810 किलोमीटर 33 केवी और 3761 किलोमीटर 11 केवी लाइन की ऊंचाई बढ़ाकर कवर्ड कंडक्टर लगाने 3976 किलोमीटर निम्न दाब लाइन में एरियल ब्चंड केबल लगाने का काम किया जाना था। वहीं इस पर केन्द्रीय पर्यावरण वन और जलवायु विभाग ने साफ तौर पर कह दिया। यह काम विद्युत विभाग अपने बजट से करें। यानी आप समझ सकते हैं। किस तरह की साजिश रची जा रही है।

Mahendra Sahu

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