Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्री का दूसरा दिन आज, मां ब्रह्मचारिणी की होगी पूजा, जानें पूजा विधि और कथा

नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2025 : आज, सोमवार 31 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बेहद पवित्र और दिव्य है। शास्त्रों में उन्हें साधना और तपस्या की प्रेरणा देने वाली देवी के रूप में बताया गया है। इस दिन विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।
Chaitra Navratri 2025 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। सफेद या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना इस दिन शुभ माना जाता है। घर के मंदिर को साफ कर वहां मां की प्रतिमा या चित्र रखें। पूजा के दौरान मां को कुमकुम, अक्षत और भोग अर्पित करें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें और उनके चरणों में पुष्प अर्पित कर आरती गाएं।
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Chaitra Navratri 2025 : मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः”
“ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।”
“या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
“दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।”
Chaitra Navratri 2025 : मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मां ब्रह्मचारिणी को विशेष रूप से मीठे पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। दूध, मिश्री से बनी मिठाइयाँ या पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
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मां ब्रह्मचारिणी का शुभ रंग
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी होता है, जो इस दिन की पूजा को और भी मंगलमय बनाता है।
Chaitra Navratri 2025 : मां ब्रह्मचारिणी की कथा
शिवपुराण के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन किया। इसके बाद उन्होंने तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से देवता और ऋषि-मुनि अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्हें भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने का वरदान दिया। इस कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।