CG NEWS : पिथौरा के जंगलों में चीतलों की संदिग्ध मौतें, वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
CG NEWS : Suspicious deaths of Chital deer in Pithora forests, questions raised on the functioning of the forest department

पिथौरा। CG NEWS : बुंदेली और भिथिडीह जंगल में तीन वन्य प्राणियों की संदिग्ध मौतों ने एक बार फिर से वन विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। बुंदेली जंगल में एक चीतल और एक गाय का शव मिलने के साथ ही भिथिडीह के कक्ष क्रमांक 243 में भी एक अन्य चीतल मृत पाया गया है। प्रारंभिक जांच में सभी मौतें शिकार या विषाक्तता से जुड़ी प्रतीत हो रही हैं।
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शिकार की नई रणनीति: पानी में ज़हर?
ग्रामीणों के अनुसार, इन घटनाओं के पीछे एक नया और खतरनाक तरीका सामने आ रहा है—यूरिया मिलाकर पानी में ज़हर घोलना। गर्मी के मौसम में पानी की तलाश में भटकते वन्य जीव ऐसे जहरयुक्त स्रोतों से पानी पीकर मौत का शिकार हो रहे हैं। बुंदेली जंगल में मृत मिले चीतल और गाय की मौत इसी आशंका की ओर इशारा करती है। ग्रामीणों ने दावा किया कि गाय के शरीर पर करंट से जलने के भी निशान हैं, जिससे यह भी संभावना जताई जा रही है कि शिकार के लिए पुराने तरीकों जैसे विद्युत करंट का भी इस्तेमाल हो रहा है।
वन्य प्राणी और वन की सुरक्षा पर सवाल
गिरना जंगल की आग, उसके बाद लगातार हो रही वन्य प्राणियों की मौतें—इन सभी घटनाओं ने वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। एक सेवानिवृत्त रेंजर का कहना है कि विभागीय अधिकारी अक्सर मीडिया से मामलों को छुपाने का प्रयास करते हैं और प्राणियों की मौत के असामान्य कारण बताकर जिम्मेदारी से बच निकलते हैं।
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चौंकाने वाला बयान, जिम्मेदार कौन?
इस पूरे मामले में जब मीडिया ने एसडीओ यू आर बसन्त से बात की तो उनका बयान और भी चौंकाने वाला था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शिकार के आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन किसी वन कर्मचारी पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह बयान उस स्थिति में आया है जब लगातार जंगल में हो रही घटनाएं विभाग की लापरवाही की ओर इशारा कर रही हैं।
शीर्ष अफसर मौन
इस गंभीर मसले पर वन मंडलाधिकारी से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, मुख्य वन संरक्षक राजू आगासिमनी का मोबाइल बंद मिला, जिससे उनका पक्ष सामने नहीं आ सका।