Chhattisgarh

CG News : काटागांव के पारंपरिक मावली मेले का हुआ आयोजन, देवताओं की शोभायात्रा विशेष आकर्षण का रहा केंद्र…बस्तर राजपरिवार के कमल चंद्र भजदेव भी हुए शामिल

CG News : Traditional Mawali fair of Katagaon was organized, procession of deities was the center of special attraction... Kamal Chandra Bhajdev of Bastar royal family also participated

रोशन सेन, माकड़ी | CG News : जिले के ग्राम कांटागांव में आयोजित होने वाला पारंपरिक मावली मेला शामपुर परगना में विशेष महत्व रखता है। कांटागांव मेला संपन्न होने के बाद, शामपुर परगना के अन्य गांवों में भी मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में देवताओं की शोभायात्रा विशेष आकर्षण का केंद्र होती है, जो स्थानीय निवासियों की पारंपरिक आस्था और विश्वास को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है। इस वर्ष कांटागांव मावली मेला शनिवार को हुआ, जिसमें परगना के सभी 84 गांवों की देवी-देवताओं ने भाग लिया। मेले में बस्तर राजपरिवार के कमल चंद्र भजदेव भी शामिल हुए। इस मेले में स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज से व्यापारी भी अपनी दुकानें लगाए हुए थे। क्षेत्रवासियों को इस विशिष्ट पारंपरिक मेले का सालभर इंतजार रहता है।

CG News मेले की शुरुआत मावली माता मंदिर के प्रांगण से होती है, जहां गायता पुजारी और समस्त ग्रामीण ढोल, नगाड़े, मोहरी बाजा जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर देवी-देवताओं को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करते हैं। इस दौरान रावत नर्तक दल भी आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। इसके बाद सभी देवी-देवता मंदिर प्रांगण से निकलकर मेला स्थल पर परिभ्रमण करने के लिए जाते हैं। मेले में आए सभी देवी-देवताओं के लाठ, बैरक, अंगा, डोली आदि शामिल होते हैं और पूरे मेला स्थल का फेरा लगाते हैं।

READ MORE : Cyber Fraud : APP के जरिए छत्तीसगढ़ में हुई 1,00,00,000 से अधिक की ठगी, मामलें में जल्द होगा बड़ा खुलासा

CG News इस दौरान आस्था और विश्वास का अलग-अलग रूप देखने को मिलता है। सिरहा और गुनिया अपनी-अपनी धार्मिक आस्था के तहत तरह-तरह की यातनाएं सहते हुए दिखाई देते हैं, जिससे वे अपने आपको देवी-देवताओं के निकट मानते हैं। कोई व्यक्ति अपने मुंह में सूल घोंपता है, तो कोई लोहे की जंजीर से खुद को मारकर अपनी आस्था प्रकट करता है। वहीं, देवियां लोहे की कील से बनी कुर्सी में बैठकर मेला स्थल का फेरा लगाती हैं। फेरा पूरा होने के बाद, सभी देवी-देवता एक स्थान पर एकत्रित होकर अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं, जिसे देवनाच कहा जाता है। अंत में, सभी देवी-देवताओं को श्रद्धा भाव से फूल और कुछ पैसे भेंट स्वरूप अर्पित किए जाते हैं।

मेला में अब आधुनिकता का भी समावेश हो गया है। मेला स्थल पर विभिन्न प्रकार के झूले छोटे बच्चों और बड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। साथ ही, मेला स्थल पर देवी-देवताओं से जुड़ी पारंपरिक वस्तुएं जैसे कलश, कौड़ी से बने कपड़े, बेंत आदि भी बेचे जा रहे हैं। इन पारंपरिक सामानों के विक्रेता दूर-दराज से आते हैं और उनका कहना है कि वे हर वर्ष मेला में अपनी दुकान लगाते हैं। CG News

READ MORE : BREAKING NEWS : पुलिस ने किया हाई-प्रोफाइल ड्रग सिंडिकेट का पर्दाफाश, 4.5 लाख की कोकीन और एमडी बरामद…जाल में ऐसे फंसा तस्कर

Chhagan Sahu

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम छगन साहू है और मैं भारत का रहने वाला हूँ। अब मैं viralchhattisgarh.com की मदद से आपको छत्तीसगढ़ समाचार और कई अन्य चीजों से जुड़ी हर जानकारी बताने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद

Related Articles

Back to top button