
नई दिल्ली | BREAKING NEWS : लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगने से उदारवादी वर्ग में उत्साह देखा गया, लेकिन गठबंधन सहयोगियों की जरूरत के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल पहले दो कार्यकालों से ज्यादा अलग नहीं होगा।
BREAKING NEWS चुनाव परिणाम के बाद, उदारवादियों की खुशी एक हफ्ते तक तो समझ में आती थी, लेकिन इसके बाद उन्हें एक सच्चाई का सामना करना पड़ा—”जो जीता, वही सिकंदर।” मुक्केबाजी की भाषा में कहें तो कोई यह नहीं देखता कि किसे चोट लगी, सिर्फ यह याद रहता है कि विजेता कौन है।
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अंततः, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद को कोई गंभीर खतरा नहीं है। कुछ उदारवादियों का मानना है कि गठबंधन सरकार दो साल से ज्यादा नहीं टिकेगी क्योंकि बीजेपी को टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू के नीतीश कुमार जैसे सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
BREAKING NEWS लेकिन यह महज एक कल्पना हो सकती है। नायडू और नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जो समय-समय पर अपने राजनीतिक हितों के अनुसार फैसले लेते रहे हैं—कभी बीजेपी के साथ, तो कभी उसके खिलाफ। उनके फैसलों के पीछे वैचारिक प्रतिबद्धता से ज्यादा राजनीतिक स्वार्थ प्रमुख नजर आता है।