Chhattisgarh

घरघोड़ा में कलेक्टर के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, अधिकारी कर्मचारी नहीं रहते मुख्यालय में.

घरघोड़ा में कलेक्टर के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, अधिकारी कर्मचारी नहीं रहते मुख्यालय में.

गौरीशंकर गुप्ता/घरघोड़ा : जिला कलेक्टर द्वारा पूर्व में जारी अपने पत्र क्रमांक 5175/13/8/2014 एवं 1965/23/3/2015 के अनुसार जिला, तहसील/ब्लाक के तमाम शासकीय सेवकों को अपने निर्धारित मुख्यालय में हाजिर रहकर कार्य संपादन करने के निर्देश दिए गए हैं।लेकिन कतिपय अधिकारी कर्मचारी क्या इसका पालन कर रहे हैं! नौकरशाहों की नकेल कसने प्रशासन में विधि संवत कार्यवाही का प्रावधान निर्धारित है.

 

 

परंतु तहसील क्षेत्र के लगभग 60% शासकीय सेवक अपने साधन से पदस्थापना स्थल पहुंचकर आधा अधूरा कार्य संपादन करते देखे जा सकते हैं, राष्ट्र निर्माण में इनकी अहम भागीदारी है पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी होने के बावजूद अपने निर्धारित मुख्यालय में चूल्हा जलाने के झंझट से अपने व्यवस्थित आशियाने से निर्धारित मुख्यालय आना-जाना करते हैं। कई गैर जिम्मेदार अधिकारी हैं जो प्रतिदिन रायगढ़ से आना-जाना करते हैं जिनके द्वारा कलेक्टर के दिए निर्देशों की धज्जियां उड़ रही है जिनकी मनमानी आकस्मिक निरीक्षण से ही सामने आ सकते हैं.

 

 

 


छत्तीसगढ़ प्रदेश पंचायती राज मात्र कहने को ही रह गया है वरना निर्वाचित जनप्रतिनिधियों अपने प्रभाव क्षेत्र की गतिविधियों की जानकारी जिला कलेक्टर को देते तो मजाल है कि किसी भी विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने निर्धारित मुख्यालय से नदारद हो सकते, ऐसा ही एक आरईएस विभाग का अधिकारी है जो अपने कार्यलय आने के समय के बाद अपने मूल निवास रायगढ़ से आते हैं और कार्यालय अवधि खत्म होने के पूर्व ही अपने मूल निवास को चले जाते हैं। उक्त अधिकारी 2007-8 से पूर्व में सब इंजीनियर रहे और यहीं उनकी पदोन्नति भी हो गई।

ऐसे ही राजस्व, शिक्षा व अन्य विभाग हैं जिनके अधिकारी-कर्मचारियों को नियम एवं निर्देशों का भय बिल्कुल भी नहीं है तथा वे इस तरह की गैर जिम्मेदारी पूर्वक कार्य संपादन करने के आदी हो चुके हैं। अब देखना ये है कि जिला निर्वाचन अधिकारी उक्त गैर जिम्मेदार अधिकारी के इस कार्यप्रणाली पर क्या कार्यवाही करते हैं, इस पर अधिकांश लोगों की नजरें टिकी हुई। उल्लेखनीय हैं की वर्तमान समय मैं आचार संहिता प्रभावशील होता हुआ भी अपनी मनमानी करने वाले अधिकारी कर्मचारी अपने पुराने ढर्रे को छोड़ने को तैयार नहीं है।

Mahendra Sahu

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