Mahakumbh 2025 : सुविधाएं और सुरक्षा में सुधार से तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि, 40 करोड़ श्रद्धालुओं के रिकॉर्ड तक पहुंचने का अनुमान
Mahakumbh 2025 : सुविधाएं और सुरक्षा में सुधार से तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि, 40 करोड़ श्रद्धालुओं के रिकॉर्ड तक पहुंचने का अनुमान

Mahakumbh 2025 : पहले कुंभ स्नान सुविधाओं के अभाव में कठिन था, और कई श्रद्धालु इच्छा होते हुए भी इसे अनुभव नहीं कर पाते थे। लेकिन इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं को दी जा रही बेहतर सुविधाओं का असर यह है कि अनुमान है कि 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे। इनमें से 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु ऐसे होंगे, जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं। देश-विदेश के उद्योगपतियों का लगातार कुंभ क्षेत्र में आना और निवास करना इसी बदलाव का संकेत है। सुगम व्यवस्थाओं का परिणाम है कि आध्यात्मिक पर्यटन में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई है।
Mahakumbh 2025 : आईआईएम इंदौर के प्राध्यापक प्रो. शेखर शुक्ला की एक स्टडी के अनुसार, प्रयागराज महाकुंभ केवल 45 दिन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह दुनिया में पहली बार हुआ है जब किसी मेला या धार्मिक तीर्थाटन को एक नए नगर का दर्जा दिया गया हो।
Mahakumbh 2025 : प्रो. शुक्ला के अनुसार, 1977 से 2025 तक के महाकुंभ पर श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2001 में जहां 7 करोड़ श्रद्धालु कुंभ स्नान के लिए पहुंचे थे, वहीं 2019 में यह संख्या बढ़कर 24 करोड़ हो गई। इस बार यह संख्या 40 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। पिछले दस वर्षों में उत्तर प्रदेश में आयोजित तीन कुंभ मेलों पर खर्च की गई धनराशि 1300 करोड़ से बढ़कर 7500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यूपी में कुंभ सुविधाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। सुगम यात्रा व्यवस्थाओं के कारण, कुंभ तक पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 35 देशों की आबादी के बराबर हो सकती है।
Mahakumbh 2025 : कुंभ मेला: बढ़ती हुई तीर्थयात्रियों की संख्या
वर्ष | श्रद्धालु संख्या
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1977 | 1.5 करोड़
1983 | 1.27 करोड़
1989 | 2.9 करोड़
1995 | 4.95 करोड़
2001 | 7 करोड़
2007 | 7 करोड़
2013 | 12 करोड़
2019 | 24 करोड़
2025 | 40 करोड़ (अनुमान)
Mahakumbh 2025 : कुंभ पर बढ़ती वैश्विक शोध रुचि
Mahakumbh 2025 : प्रो. शुक्ला के अनुसार, कुंभ मेले पर वैश्विक शोधकर्ताओं की रुचि लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2000 के बाद से कुंभ और उससे जुड़े विषयों पर कई शोध हो चुके हैं। 2023-24 में स्कोपस डाटाबेस के अनुसार, कुंभ की थीम पर 25 से अधिक शोध प्रकाशित किए गए हैं। इससे यह साबित होता है कि कुंभ सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व भी है।
Mahakumbh 2025 : कुंभ का यूपी की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
Mahakumbh 2025 : प्रो. शुक्ला ने यह भी बताया कि कुंभ की वजह से उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं पर खर्च की गई धनराशि राज्य की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देगी। यूपी देश में धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा। वैश्विक कंपनी कोहेरेंट मार्केट इनसाइट्स के मुताबिक, आध्यात्मिक पर्यटन यूपी में सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, और वर्ष 2030 तक यह बाजार 3200 मिलियन डॉलर का होगा, जिसमें यूपी की प्रमुख भागीदारी होगी।