BIG NEWS : अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, ट्रंप सरकार की उलटी गिनती शुरू?
BIG NEWS : US-China trade war, has the countdown of Trump government begun?

नई दिल्ली । BIG NEWS : दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं – अमेरिका और चीन – एक बार फिर सीधी टकराव की राह पर हैं। लेकिन इस बार हालात कुछ यूं बनते नजर आ रहे हैं कि वॉशिंगटन को पहले झुकना पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक ‘टैरिफ नीति’ और चीन की चुपचाप मगर प्रभावशाली जवाबी रणनीति के बीच बीजिंग की बढ़ती ताकत और धैर्य साफ नजर आ रहा है।
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ट्रंप बनाम शी जिनपिंग: कौन झपकाएगा पहले आंख?
अमेरिका ने जहां चीन से आने वाले सामान पर 145% तक का टैरिफ लगाया है, वहीं चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 125% का टैरिफ ठोंका है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका के लिए ‘रेयर अर्थ मेटल्स’ (दुर्लभ खनिजों) के निर्यात पर भी रोक लगाई है, जिससे अमेरिकी उद्योगों को जबरदस्त झटका लगा है।
हालांकि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस मुद्दे पर बात की है, लेकिन चीन की सरकार ने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है कि इस पर किसी भी स्तर की बातचीत नहीं हुई है। बीजिंग ने अमेरिका पर “जनता को भ्रमित करने” का आरोप लगाया है।
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बाजार की धमक से डगमगाया व्हाइट हाउस
ट्रंप की नीतियों का असर अमेरिका के खुदरा बाजार में साफ दिखने लगा है। Walmart और Target जैसी कंपनियों ने खाली शेल्फ़ और महंगे उत्पादों की चेतावनी दी है। Amazon ने तो कुछ उत्पादों पर टैक्स अलग से दिखाने का प्लान भी बनाया था, लेकिन ट्रंप के फोन कॉल के बाद कंपनी को पीछे हटना पड़ा।
अमेरिका में महंगाई, गिरते बॉन्ड मार्केट और बिगड़ते व्यापार संतुलन ने ट्रंप प्रशासन की नींद उड़ा दी है। वहीं चीन ने पहले से ही अपने घरेलू बाजार में खपत बढ़ाने और वित्तीय प्रोत्साहन योजना शुरू कर रखी है, जिससे उसे बाहरी दबावों का खास असर नहीं झेलना पड़ेगा।
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मजबूत चीन, फिसलता अमेरिका
चीन के पास न तो चुनावों का दबाव है और न ही घरेलू अस्थिरता। राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आंतरिक समर्थन भी प्राप्त है, और चीन धीरे-धीरे “आत्मनिर्भर उपभोक्ता बाजार” की दिशा में अग्रसर है। जबकि अमेरिका में ट्रंप की पार्टी में ही असंतोष उभर रहा है, और फेडरल रिजर्व की ब्याज दर घटाने से इनकार ने आर्थिक अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है।
मुकाबले में पिछड़ रहा है अमेरिका
फाइनेंशियल टाइम्स के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक मार्टिन वुल्फ का भी मानना है कि इस व्यापार युद्ध में चीन को अमेरिका पर बढ़त हासिल है। उनका कहना है कि, “अगर अमेरिका ने अपनी रणनीति नहीं बदली, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखलाएं बिखर सकती हैं और व्यापारिक वातावरण बेहद नाजुक हो गया है।”
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व्यापार युद्ध किसी भी देश के लिए स्थायी समाधान नहीं है, लेकिन इस बार लग रहा है कि चीन के पास ताकत और संयम दोनों है, जबकि अमेरिका को अपनी घरेलू राजनीति और आर्थिक हालात के चलते जल्द ही कोई रास्ता निकालना पड़ सकता है। सवाल यह नहीं है कि कौन जीतेगा, बल्कि यह है कि कौन पहले घुटने टेकेगा — और संकेत वॉशिंगटन की ओर इशारा कर रहे हैं।