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BIG NEWS : अब प्रयागराज में सिर्फ अमिताभ ही नहीं, उनके पिता हरिवंश राय बच्चन के नाम पर भी बना सांस्कृतिक केंद्र

BIG NEWS : Now in Prayagraj, not just Amitabh, a cultural centre has been built in the name of his father Harivansh Rai Bachchan as well

प्रयागराज। BIG NEWS : इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने शहर की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने पुराने और प्रतिष्ठित ‘विज्ञान परिषद’ भवन का नाम बदलकर अब प्रसिद्ध कवि और पूर्व अंग्रेजी प्रोफेसर हरिवंश राय बच्चन सांस्कृतिक केंद्र रख दिया है। इस फैसले के साथ ही प्रयागराज में अब सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के बाद उनके पिता का नाम भी शहर की शैक्षणिक पहचान का हिस्सा बन गया है।

अब विज्ञान की जगह गूंजेगी कविता और संस्कृति की बातें

BIG NEWS 1913 में स्थापित विज्ञान परिषद, पहले वैज्ञानिक सोच और विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए जानी जाती थी। लेकिन समय के साथ इसका स्वरूप बदलता गया और परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो गईं। विश्वविद्यालय ने कानूनी लड़ाई के बाद इस भवन को फिर से अपने नियंत्रण में लिया और अब इसे पूरी तरह से सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया गया है।

BIG NEWS इस नए रूप में ‘हरिवंश राय बच्चन सांस्कृतिक केंद्र’ में साहित्यिक गोष्ठियों, सांस्कृतिक आयोजनों और रचनात्मक गतिविधियों की योजना बनाई गई है। साथ ही यहां एक अतिथि भवन (गेस्ट हाउस) भी तैयार किया गया है, जिसका नाम भी हरिवंश राय बच्चन के नाम पर रखा गया है।

परिवार से शहर का गहरा नाता

BIG NEWS प्रयागराज शहर से बच्चन परिवार का रिश्ता बहुत पुराना और गहरा रहा है। पहले ही शहर में अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स मौजूद है, जो युवाओं को खेलों की ओर प्रेरित करता है। अब उनके पिता हरिवंश राय बच्चन के नाम पर नया सांस्कृतिक केंद्र बनने से शहर की पहचान और समृद्ध हुई है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक कदम

BIG NEWS विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय सिर्फ नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य शहर की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है। हरिवंश राय बच्चन केवल कवि नहीं, बल्कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के एक सम्मानित प्रोफेसर भी रहे हैं।

नए स्वरूप में पुरानी विरासत

BIG NEWS जहां कभी विज्ञान परिषद में विज्ञान विषयों पर मंथन होता था, अब उसी भवन में साहित्य, कला और संस्कृति की चर्चा होगी। विश्वविद्यालय का यह कदम न केवल ऐतिहासिक इमारत को नया जीवन देगा, बल्कि शहर के साहित्यिक चरित्र को भी और मजबूत करेगा।

Chhagan Sahu

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