
नई दिल्ली। BIG NEWS : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई करते हुए 64 वर्षों पुरानी सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है। यह निर्णय भारत की सुरक्षा पर शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में लिया गया, जहाँ हमले की “सीमा पार आतंकी कड़ी” की पुष्टि के बाद यह कदम उठाया गया।
संधि जिसने युद्धों में भी साथ नहीं छोड़ा… अब खत्म
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी यह संधि अब तक सबसे मजबूत अंतरराष्ट्रीय जल समझौतों में मानी जाती थी। यह 6 नदियों के जल वितरण को नियंत्रित करती है — भारत को रावी, ब्यास और सतलुज (पूर्वी नदियां) और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां) का अधिकार मिला था।
पाकिस्तान पर होगा सीधा असर
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान की कृषि, ऊर्जा और पेयजल व्यवस्था पर बड़ा संकट मंडराने लगा है:
- पाकिस्तान की 80 प्रतिशत कृषि भूमि सिंधु प्रणाली पर निर्भर है
- लगभग 237 मिलियन लोगों को सीधे इस जल स्रोत से जीवन मिलता है
- कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों की जल आपूर्ति खतरे में पड़ सकती है
- मंगला और तरबेला जैसे जलविद्युत संयंत्रों पर भी असर पड़ सकता है
- खाद्य उत्पादन, बिजली, रोजगार और ग्रामीण स्थायित्व बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं
भारत की रणनीति बदली, अब ‘वाटर कार्ड’ खेलेगा भारत
पहली बार भारत ने केवल “पुनर्विचार” तक सीमित न रहते हुए संधि को औपचारिक रूप से निलंबित किया है। इससे भारत को अब पश्चिमी नदियों पर भी नियंत्रण की स्वतंत्रता मिल गई है, जिससे वह पाकिस्तान के लिए जल प्रवाह को सीमित या स्थगित कर सकता है।
आगे क्या?
- पाकिस्तान की आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार
- विश्व बैंक की भूमिका पर नजरें टिकीं
- संभावित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और कूटनीतिक घमासान