Apple : टेक दिग्गजों पर यूरोप का बड़ा एक्शन: ऐपल-मेटा पर DMA उल्लंघन का लगा करोड़ों का जुर्माना
Apple : Europe takes big action against tech giants: Apple-Meta fined crores for DMA violation

नई दिल्ली । Apple : डिजिटल दुनिया में मनमानी अब नहीं चलेगी – इसी सख्त संदेश के साथ यूरोपीय आयोग ने टेक की दो दिग्गज कंपनियों, एपल और मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम की मूल कंपनी) पर डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA) के उल्लंघन के चलते करोड़ों यूरो का जुर्माना ठोका है।
एपल पर 500 मिलियन यूरो (लगभग 570 मिलियन डॉलर) और मेटा पर 200 मिलियन यूरो (लगभग 230 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया गया है। यह DMA के तहत पहला बड़ा दंड है, जिससे यह साफ संकेत गया है कि यूरोप अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या है कंपनियों पर आरोप?
एपल: डेवलपर्स पर लगाई बेड़ियां
एपल पर आरोप है कि उसने ऐप डेवलपर्स को अपने ग्राहकों को सीधे ऑफर या छूट देने से रोका, जिससे वे एपल के सिस्टम के भीतर बंधकर रह गए और उपयोगकर्ता सस्ते विकल्पों से वंचित हो गए।
मेटा: प्राइवेसी को बनाया ‘प्रीमियम’
मेटा ने यूजर्स को दो विकल्प दिए – या तो अपनी पर्सनल जानकारी विज्ञापनों के लिए दें या फिर पैसे देकर बिना विज्ञापन वाला वर्जन खरीदें। यूरोपीय नियमों के मुताबिक, ऐसी स्थिति में मुफ्त में भी एक वैकल्पिक सेवा देना जरूरी होता है।
अमेरिका बनाम यूरोप: बढ़ता डिजिटल टकराव
यह कार्रवाई केवल टेक कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप के बीच डिजिटल नीति को लेकर चल रहे संघर्ष का हिस्सा भी मानी जा रही है। अमेरिका ने इस पर असंतोष जताते हुए इसे “अमेरिकी कंपनियों पर हमला” बताया है। मेटा के अफसरों ने आरोप लगाया है कि यूरोप अमेरिकी टेक कंपनियों को टारगेट कर रहा है।
अब आगे क्या?
दोनों कंपनियों को 60 दिनों के भीतर इन आदेशों का पालन करना होगा। अनुपालन न होने पर अधिक कठोर आर्थिक दंड लगाए जा सकते हैं। साथ ही, एपल पर एक और आरोप लंबित है – वह आईफोन में अन्य ऐप स्टोर्स को ब्लॉक कर रहा है।
DMA के तहत अब यूरोप यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि डिजिटल इकोसिस्टम में कोई भी कंपनी इतनी बड़ी न हो जाए कि वह कानून से ऊपर दिखे।
यूरोपीय आयोग के इस फैसले ने ग्लोबल टेक कंपनियों को सख्त संदेश दिया है – अगर यूरोप में कारोबार करना है, तो यहां के कानूनों का पालन करना होगा।
यह निर्णय सिर्फ यूरोप नहीं, बल्कि दुनियाभर के डिजिटल रेगुलेशन के लिए मिसाल बन सकता है।