Chhattisgarh

Ajab-Gajab  :   छह फीट लंबी, 65 किलो वजनी मछली ने सबको चौकाया, देखने वालों ने रानी मछली की दी संज्ञा

कवर्धाAjab-Gajab  : छह फीट लंबी और 65 किलो वजनी विशाल मछली ने सबको चौका दिया. जी हां, ये मछली कवर्धा जिला कबीरधाम ( Kawardha District Kabirdham) अंतर्गत सरोदा जलाशय अंतर्गत मिली है. मछुआरों ने मछली पकडऩे जलाशय में जाल डाला जिसके बाद वे अचरज रह गए कि उनके जाल में पूरे छह फीट की मछली फंसी है. यह मछली इतने वजन की है कि इसे एक दो मछुआरे खींच पाने में असमर्थ साबित हुए. आखिरकार उन्हें कुछ साथियों को बुलाया गया और सबके प्रयास से इस विशालकाय को जलाशय से बाहर निकाल पाने में सफल हो पाए.

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Ajab-Gajab  :  आमतौर से इतने विशाल कदकाठी और वजन की मछलियां मिलने की घटना बहुत कम सुनाई में आता है. कभी-कभी बड़ी मछलियां जाल में फंसना आम बात है, इतने विशाल या वजन की मछली फंसने की घटना पहली बार हुई. जिसमें मछली की लंबाई ही एक औसत मनुष्य की हाईट के बराबर है. घटना बीते सोमवार की है.

मछुआरों ने सुबह के समय सरोदा जलाशय में मछली पकडऩे के लिए जाल डाला था. जिसके बाद मछली फंसने की आशंका पर जाल को पानी में से खींचने पर जाल पानी में से नहीं खींचा पाया. मछुआरों ने जाल में किसी पत्थर या भारी वस्तु के फंसे होने की आशंका से पानी के भीतर तक जाकर जाल खींचा गया. परन्तु बावजूद असफल होने पर अपने दूसरे साथियों को बुलाया. जैसे-जैसे जाल पानी से बाहर आते गया.

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Ajab-Gajab  :  मछुआरों के चेहरे की हवाई उडऩे लगी. क्योंकि उनके जाल में गहरे भूरे, या नीले काले रंग के दिखाई देने वाली एक विशालकाय मछली फंसी हुई थी. जिसे देखकर लोग उत्साह से भर गए. जानकारों के मुताबिक यह ब्लेक कार्प प्रजाति की मछली है. जिसका शरीर फ्यूसीफॉर्म होता है. ज्ञात हो कि सरोदा जलाशय कबीरधाम जिले की मध्यम सिंचाई परियोजना का हिस्सा है.

जलाशय का उपयोग मछली पालन के लिए किया जाता है. यहां की तीन प्रमुख मछुआरा समितियां नेताजी मछुआरा समिति, श्रीराम मछुआ सहकारी समिति और केंवट मछुआरा समिति को यह जलाशय पट्टे पर दी गई है. मछली पालन के साथ रोजगार का एक बड़ा केंद्र के रूप में स्थापित सरोदा जलाशय में समय-समय पर मछली पकडऩे का कार्य किया जाता है.

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जिसें अधिकतर औसत वजन की मछलियां ही पकड़ में आती है. इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था कि जलाशय में इतने विशाल कद की मछली पनप रही है. घटना के बाद अंदाजा है कि जलाशय में इसी तरह के वजन और कद की और भी मछलियां या दूसरे जलचर हो सकते हैं. इस घटना से ना केवल सभी आश्चर्य चकित है बल्कि उनमें मछली पालन को लेकर भी नई उम्मीदें हिलौर मारा है. और वे जलाशय में पनप रहे जलचरों के संरक्षण की बात कह रहे हैं.

मछली पकडऩे के बाद इस बात की चर्चा आसपास के क्षेत्र में होने पर मछली को देखने के लिए लोग की हुजुम लग गई और सबने मछली को करीब से देखकर इसे जलाशय की रानी मछली भी करार दिए. कईयों ने मछली को वापस जलाशय में छोड़ देने की बात भी कही परन्तु आश्चर्य मिश्रित लोगों ने इसे िफिलहाल रोजगार परक इस्तेमाल की बात कही.

Mahendra Sahu

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