Naga Sadhu : महिलाएं कैसे बनती है नागा साधु…? ये है नियम, जानिए रहस्यमयी हकीकत…
Naga Sadhu : महिलाएं कैसे बनती है नागा साधु...? ये है नियम, जानिए रहस्यमयी हकीकत...

नई दिल्ली। Naga Sadhu : महाकुंभ मेला हर बार अपने अद्वितीय और रहस्यमय पहलुओं के कारण चर्चा का विषय बनता है। इनमें से एक प्रमुख आकर्षण नागा साधु होते हैं, जिनकी जीवनशैली और भक्ति की गहरी दुनिया लोगों को आकर्षित करती है। लेकिन हाल के वर्षों में, महिला नागा साधुओं की उपस्थिति ने एक नया मोड़ लिया है, जो इस प्राचीन परंपरा को और भी दिलचस्प बनाता है।
Mahila Naga Sadhu: नागा साधु कौन होते हैं?
नागा शब्द संस्कृत के “नग” से लिया गया है, जिसका अर्थ है पहाड़, और इन साधुओं का जीवन पहाड़ों और गुफाओं में बिताने की परंपरा से जुड़ा होता है। ये साधु दशनामी संप्रदाय से संबंधित होते हैं, जिसे आदि शंकराचार्य ने 9वीं सदी में स्थापित किया था। दशनामी संप्रदाय के अंतर्गत संन्यासियों को दस नामों से जोड़ा जाता है, जैसे गिरी, पुरी, वन, पर्वत आदि। नागा साधु इन दस नामों में से एक से जुड़कर जीवन के वैराग्य मार्ग पर चलते हैं।
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Mahila Naga Sadhu: महिला नागा साधु बनने की कठिन यात्रा
महिलाओं के लिए नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन और जटिल होती है। महिला साधुओं को कठोर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना पड़ता है और यह प्रक्रिया 10 से 15 साल तक चली सकती है। इस दौरान उन्हें ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और अपनी योग्यता को साबित करना होता है। महिला नागा साधुओं को पिंडदान और मुंडन जैसी धार्मिक क्रियाएं भी पूरी करनी होती हैं। जब गुरु को उस महिला की श्रद्धा और समर्पण पर पूरा विश्वास हो जाता है, तभी वह दीक्षा प्रदान करते हैं।
दीक्षा लेने के बाद महिला साधु को सांसारिक वस्त्रों को त्यागकर अखाड़े का भगवा या पीला रंग का कपड़ा पहनना होता है। इस दीक्षा के बाद उन्हें “माता” की पदवी दी जाती है।
Mahila Naga Sadhu: महिला नागा साधुओं की विशेष पहचान
महिला नागा साधुओं को आमतौर पर “माता”, “नागिन”, “अवधूतनी” या “माई” के नाम से जाना जाता है। इन्हें हमेशा केसरिया या भगवा वस्त्र पहनने होते हैं और वे दिगंबर नहीं होतीं। कुंभ मेले के दौरान विशेष रूप से इन महिला नागा साधुओं के लिए “माई बाड़ा” तैयार किया जाता है, जहां सभी महिला नागा साधु एक साथ रहते हैं।
Mahila Naga Sadhu: जूना अखाड़ा में महिला नागा साधुओं की बढ़ती संख्या
जूना अखाड़ा, जो भारत का सबसे बड़ा और पुराना अखाड़ा है, में महिला नागा साधुओं की संख्या सबसे ज्यादा देखी जाती है। 2013 में पहली बार इस अखाड़े से महिला नागा जुड़ी थीं, और अब इस अखाड़े में सबसे ज्यादा महिला नागा साधु हैं। इसके अलावा, आह्व्वान अखाड़ा, निरंजन अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा और आनंद अखाड़ा में भी महिला नागा साधु मौजूद हैं।