Kutumb : कब के बिछड़े..वर्षो बाद मिले..खाई जीने-मरने की कसमें..जाने क्या है मामला

दुर्ग । Kutumb : यह एक दपंत्ति की कहानी है. मनमुटाव की वजह से वर्षो से अलग रहे, परन्तु जब मिले तो अब की बार बिछडऩे को जी नहीं चाहा और अब जीवन भर साथ रहने की ठान ली..मामला दुर्ग जिला अंतर्गत का है. पूरा मामला इस प्रकार है कि कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र.01 पीठासीन अधिकारी गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग में आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध देय भरण पोषण राशि में वृद्धि करने का मामला प्रस्तुत किया था.
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Kutumb : बता दे कि आवेदिका, अनावेदक से लगभग 10 वर्षों से अलग रह रहीं थी. उन दोनों का एक पुत्र उका भी है. आवेदिका के मामले पर पक्षकारों के मध्य सुलह कार्रवाई कराये जाने पर उभयपक्ष ने पुरानी बातों को भूलकर साथ ही दाम्पत्य जीवन जीने उन्हें प्रेरित किया. जिसके बाद आवेदिका और आवेदक सुलहकारों की बात मान गए और यही पर मामला समाप्त हुआ.
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Kutumb : वे दोनों पिछले दस वर्षों से पृथक-पृथक रह रहे थे, परन्तु अब की बार मिले तो बिछडऩे का मन नहीं था, वहीं सुलहकारों के प्रोत्साहन से वे मान गए और आखिर उन्होंने मामले को यही खत्म करते हुए अपने पुत्र सहित राजीखुशी सपरिवार पुन: गृहस्थ जीवन में आ गए. इस तरह एक बिखरा हुआ परिवार फिर से एक हो गया.
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था, जिसके तहत यह मामला सामने आया.