
नई दिल्ली | BREAKING NEWS : मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा की स्पेशल डीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने राज्य के सभी जिलों के एसपी को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि होटल या ढाबों में की गई पुलिस कार्रवाई के दौरान यदि कोई महिला सेक्स वर्कर के रूप में पाई जाती है, तो उसे आरोपी न बनाया जाए और न ही गिरफ्तार किया जाए।
BREAKING NEWS डीजी श्रीवास्तव ने अपने निर्देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि “स्वेच्छा से किया गया लैंगिक कार्य कानूनन अपराध नहीं है। सिर्फ वेश्यावृत्ति के लिए अड्डा (वैश्यालय) संचालित करना अवैध है।” अतः सेक्स वर्कर को गिरफ्तार करना, दंडित करना या प्रताड़ित करना न्यायोचित नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ जिलों से यह देखने में आया है कि होटल और ढाबा संचालक पैसे लेकर अपने कमरे वैश्यालय के रूप में किराए पर देते हैं, और दबिश के दौरान पुलिस बरामद महिलाओं को ही आरोपी बना देती है।
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BREAKING NEWS यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। स्पेशल डीजी ने दोहराया कि स्वेच्छा से संबंध बनाना अपराध नहीं है, अतः इस आधार पर महिलाओं को आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए।
PHQ के आदेश में यह भी उल्लेख है कि ऐसे मामलों में होटल और ढाबा संचालकों की भूमिका की गहन जांच की जाए। यदि वे पैसों के बदले अपने प्रतिष्ठानों को वेश्यालय के रूप में चलाने की अनुमति देते हैं, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन इस दौरान बरामद की गई महिलाओं के साथ एक पीड़िता या शोषित की तरह तरह व्यवहार किया जाए, न कि उन्हें अपराधी की तरह ट्रीट किया जाए। BREAKING NEWS