CG NEWS : घघरा का यह अद्भुत मंदिर जर्जर, पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान
CG NEWS : घघरा का यह अद्भुत मंदिर जर्जर, पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान

CG NEWS : गणेश तिवारी एमसीबी/ : विकाशखण्ड भरतपुर के ग्रामपंचायत घघरा में बना भगवान शिव मंदिर जिसमें कोई जोड़ नहीं है यह बिना जोड़ वाले पत्थरों से बना है यह एक रहस्यमयी संरचना का अनुपम नमूना है लेकिन पुरातत्व विभाग के अपेक्षा का हो रहा सीकार बता दें यह दूरस्थ वनांचल क्षेत्र एमसीबी छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित घघरा मंदिर ऐतिहासिक और रहस्यमयी धरोहरों में से एक है। यह मंदिर जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और जनकपुर से लगभग 20 किलोमीटर घघरा ग्राम में स्थित है। मंदिर की यह विशेषता है कि इसका निर्माण कार्य बिना किसी जोड़ने वाली सामग्री के, केवल पत्थरों को संतुलित करके इसका निर्माण कार्य किया गया है। यह अपने आप में एक अनोखा निर्माण और झुकी हुई संरचना के कारण रहस्य और कौतूहल का केंद्र बना हुआ है।
CG NEWS : *बिना किसी जोड़ के पत्थरों से निर्मित यह मंदिर अद्भुत स्थापत्य कला का उदाहरण है। घघरा मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार का न तो गारा-मिट्टी, चूना या किसी अन्य पदार्थ का प्रयोग में लाया गया है। यह केवल पत्थरों को सही संतुलन के साथ रखकर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। यह तकनीक प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला और इंजीनियरिंग कौशल का अद्भुत नमूना है। इतना ही नहीं इस मंदिर का झुकाव एवम इसके शिखर का पत्थर देखने ऐसा प्रतीत होता की गिरने वाला है लेकिन गिरता नहीं जिसके कारण यह अधिक रहस्यमयी बनाता है। यहां के ग्रमीणों की माने तो यह मंदिर द्वापर या त्रेता युग का बताया जाता है यहां के बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि यह मंदिर जब प्रभु श्रीराम वनवास काल में यहां स्थित सीतामढ़ी मैं अपनी एक रात गुजारी थी उस समय उनके द्वारा बनाया गया था क्योंकि सीतामढ़ी में भी पत्थर को खुदाई कर वहां शिवलिंग की स्थापना की गई है, इतिहासकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर किसी भूगर्भीय हलचल या भूकंप के कारण झुक गया होगा। हालांकि, सदियों पुराना यह मंदिर आज भी मजबूती से खड़ा है, जो इसकी निर्माण शैली की उत्कृष्टता को दर्शाता है।
CG NEWS : मंदिर के निर्माण काल को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इतिहासकार इसे 10वीं शताब्दी का मंदिर मानते हैं, जबकि कुछ इसे बौद्ध कालीन मंदिर बताते हैं। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यह एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहां आज भी विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर के भीतर भगवान शिव लिंग विराजमान हैं और जब मंदिर के अंदर से ऊपर मंदिर के गुम्बज को देखते हैं तो एक बड़ा सा पत्थर लटका हुआ य ऐसा प्ररित होता है कि अभी गिरने वाला है जिसके कारण यह और रहस्यमयी बनाता है। स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण उस समय की अद्भुत वास्तुकला और तकनीकी कौशल का प्रमाण है। कई शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मंदिर बौद्ध काल की किसी विशेष शैली में बनाया गया होगा, लेकिन धीरे-धीरे यह हिंदू परंपरा में समाहित हो गया।
CG NEWS : घघरा मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि यह छत्तीसगढ़ के संस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक और शोधकर्ता आते हैं। मंदिर की रहस्यमयी संरचना और इसके झुके होने की वजह से यह पुरातत्वविदों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। घघरा मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की उस उन्नत तकनीक का उदाहरण है, जो बिना किसी आधुनिक संसाधनों के भी इतनी मजबूत और संतुलित संरचनाएं बनाने में सक्षम थी। छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में इस मंदिर को उचित पहचान मिलने से यह क्षेत्र ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
CG NEWS : श्रद्धालु कैसे पहुंचे घघरा मंदिर?..
CG NEWS : घघरा मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख कस्बा जनकपुर है। यहाँ से घघरा गाँव तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। यदि आप मनेंद्रगढ़ से यात्रा कर रहे हैं, तो मंदिर तक पहुंचने में लगभग 130 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। सड़क मार्ग से यह स्थान आसानी से पहुँचा जा सकता है, और यात्रा के दौरान आप छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद ले सकते हैं।
CG NEWS : लेकिन पुरातत्व विभाग की कुम्भकर्णीय नींद के कारण यह अतिप्राचीन मंदिर अब खण्डहर में तब्दील होता नजर आ रहा है इसके अवशेष इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। ऐसा नहीं की घाघरा की इस प्राचीन मंदिर के बारे में सम्यक क्रांति दैनिक अखबार एवम बेब पोर्टल द्वारा शासन प्रशासन के संज्ञान में लाने के लिए कई बार लिखा गया है लेकिन ना तो जिला प्रशासन ना ही पुरातत्व विभाग या फिर कोई स्थानीय बड़े नेता इसको सुधारने के लिए इसके रखरखाव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जिसके कारण आज यह भगवान शिव का अतिप्राचीन मंदिर अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है और अगर ऐसा रहा तो वह दिन दूर नहीं रह की जब इस अतिप्राचीन मंदिर कुछ समय पश्चात ढह जाएगा ।