CG NEWS : वनपरिक्षेत्राधिकारी के सुस्त रवैया,बड़ी लापरवाही के चलते जंगल हुआ साफ, भगवान भरोसे हो गया है जंगल का सुरक्षा व्यवस्था , जवाबदार अधिकारी मौन !
CG NEWS : वनपरिक्षेत्राधिकारी के सुस्त रवैया,बड़ी लापरवाही के चलते जंगल हुआ साफ, भगवान भरोसे हो गया है जंगल का सुरक्षा व्यवस्था , जवाबदार अधिकारी मौन !

CG NEWS : तिल्दा-नेवरा (अजय नेताम) : वनपरिक्षेत्र अधिकारी रायपुर की लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र के जंगलों को भुगतना पड़ रहा है। जंगलों की हालात को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अधिकारियों को जंगलों को लूटने की खुली छूट मिल गई हो। तिल्दा, खरोरा सहित अन्य संबंधित सीमाक्षेत्रों में यह स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, मानो विभाग खुद ही जंगलों की बर्बादी का कारण बन रहा हो।
CG NEWS : क्षेत्रवासियों का मानना है कि पूर्व में पदस्थ रहे डिप्टी रेंजर दीपक तिवारी का कार्यकाल क्षेत्र के लिए एक मिसाल था। उनका कार्यक्षेत्र में सक्रियता और कर्तव्यनिष्ठा ने जंगलों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वृक्षारोपण से लेकर जंगलों की देखरेख तक, दीपक तिवारी ने हमेशा जंगलों की सुरक्षा में गंभीरता दिखाई। उनके कार्यकाल के दौरान जंगल काटने वाले माफियाओं पर इतना कड़ा शिकंजा कसा गया था कि वे अधिकारी का नाम सुनते ही घबराने लगते थे।
CG NEWS : लेकिन, जैसे ही दीपक तिवारी का कार्यकाल खत्म हुआ और वे इस क्षेत्र से रिटायर हुए, जंगलों की स्थिति पूरी तरह से बिगड़ गई। लाखों रुपए की लागत से किए गए वृक्षारोपण का कोई असर नहीं दिखा और कई पौधे जलकर खाक हो गए। बहुमूल्य सागौन और अन्य प्रजातियों के पेड़ काटे जा रहे हैं। जंगलों की सुरक्षा के नाम पर लाखों खर्च किए गए फेंसिंग के तार भी गायब हो गए।
CG NEWS : वर्तमान में पदस्थ अधिकारियों की अकर्मण्यता और लापरवाही की वजह से जंगलों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इन अधिकारियों को जंगलों की सुरक्षा और देखरेख में कोई रुचि नहीं दिखाई दे रही है, जिससे माफिया सक्रिय हो गए हैं।
CG NEWS : विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी भी मिली है कि पिछले साल पौधों को सिंचाई के नाम पर लाखों रुपए का दुरुपयोग किया गया। आरोप है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचकर निजी फायदे में लगे हुए हैं, जबकि जंगलों की देखरेख और सुरक्षा पर उनका ध्यान बिल्कुल नहीं है। नतीजतन, लाखों रुपए का निवेश और करोड़ों की लागत से किए गए प्रयास बेकार हो गए, और जंगलों का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इन हालात में यह सवाल उठता है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं होंगे, तब तक जंगलों की यह दुर्दशा जारी रहेगी।