Rangbhari Ekadashi : रंगभरी एकादशी पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, नोट कर लें संपूर्ण पूजा-विधि
Rangbhari Ekadashi : रंगभरी एकादशी पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, नोट कर लें संपूर्ण पूजा-विधि

Rangbhari Ekadashi : फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को आमलकी या रंगभरीएकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान शंकर से है। इस दिन काशी विश्वनाथ वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है।
Rangbhari Ekadashi :मान्यता है कि इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे। तब उनका स्वागत रंग गुलाल से हुआ था। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है। इस साल 10 मार्च को आमलकी या रंगभरी एकादशी व्रत है और अगले दिन यानी 11मार्च को व्रत का पारण किया जाएगा।
Rangbhari Ekadashi :रंगभरी एकादशी में बन रहे हैं 3 शुभ योग-
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06:36 बजे से रात 12:51 बजे तक
शोभन योग- सुबह से दोपहर 1:57 बजे तक
पुष्य नक्षत्र- पूरे दिन सक्रिय रहेगा, रात 12:51 बजे समाप्त होगा
Rangbhari Ekadashi :पूजा-विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान शिव और माता पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी गंगा जल से अभिषेक करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
Rangbhari Ekadashi :भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।